I will set an aim for myself and to achieve that aim I will strive relentlessly.
I know small aim is a crime. I will work with integrity and will be successful with
it only. I will become a worthy member of my family, society, nation and the world.
I will always endeavour to make other's life better without indulging in any discrimination
of caste, creed, language, religion or region. Without any malice I will defend
everybody's security and dignity of life. I will always be mindful of the importance
of time. I will always work for clean earth and clean energy. Being the youth of
my country, whichever responsibility will be entrusted upon me, I will work courageously
to discharge it. And will always acknowledge others' success and will congratulate
also on their success. I am as young as my faith and as old as my apprehensions.
Thats why I will light the lamp of trust in my heart. My tricolour waves in my heart.
I will earn pride for my country.
मेरा एक लक्ष्य होगा और उसे हासिल करने के लिए मैं जी-तोड़ परिश्रम करूँगा। मुझे यह
एहसास है कि छोटा लक्ष्य अपराध है। मैं सत्यनिष्ठा के साथ काम करूँगा और इसी के साथ
कामयाब होऊँगा। मैं अपने परिवार, समाज, राष्ट्र और विश्व का एक लायक सदस्य बनूंगा।
मेरी हमेशा यह कोशिश होगी कि मैं जाति, नस्ल, भाषा, धर्म और क्षेत्र का भेदभाव किए
बिना दूसरों की जिंदगी बेहतर बनाने के लिए प्रयास करूँ। मैं बिना किसी राग-द्वेष के
हमेशा हर इनसान की सुरक्षा एवं उसके जीवन की गरिमा की हिफाजत करूँगा। मैं हमेशा समय
के महत्त्व का ख्याल रखूँगा। मैं हमेशा स्वच्छ धरती और स्वच्छ ऊर्जा के लिए काम करूँगा।
अपने देश का नागरिक होने के नाते मुझे जो भी जिम्मेदारी सौंपी जाएगीं, उसे सफलतापूर्वक
पूरा करने के लिए साहस के साथ काम करूँगा। और दूसरों की कामयाबी पर उन्हें बधाई दँूगा।
मैं अपने विश्वास की तरह युवा हूँ और अपनी आशंकाओं जितना पुराना। इसलिए मैं अपने हृदय
में भरोसे का दीया जलाऊँगा। मेरा तिरंगा मेरे दिल में लहराता है, मैं अपने देश के लिए
गौरव हासिल करूँगा।
राष्ट्र गान
जन गण मन अधिनायक जय हे,
भारत भाग्य विधाता
पंजाब सिन्ध गुजरात मराठा
द्राविड़ उत्कल बंग
विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा,
उच्छल जलधि - तरंग,
तव शुभ नामे जागे ,
तव शुभ आशिष माँगें,
गा हे तव जय गाथा
जन गण मंगलदायक जय हे,
भारत भाग्य विधाता
जय हे, जय हे, जय हे,
जय जय जय जय हे ।
(1)
बहुत व्याकुल है मेरा मन, माँ मधुर मुस्कान देना।
राह से भटकूँ अगर थाम लेना, हाथ आकर थाम लेना ।।
माँ मुझे वरदान देना, बुद्धि देना-ज्ञान देना।।
है नहीं क्रम आज का यह, युग-युगों से हूँ तुम्हारा।
चल पड़े आगे कदम हैं। मातु देना तुम सहारा ।।
कंटकित पथ है बहुत ही, साथ मत तुम छोड़ देना ।
साँस रथ जब तक चले माँ, नित नये तुम गीत देना।।
माँ मुझे वरदान देना, बुद्धि देना- ज्ञान देना।।
हंस पर आरूढ़ माते, हाथ में पोथी लिए हो।
कर कमंडल मुकुट मंडित, सूर्य सी आभा लिए हो।
वेद माता देव माता। शब्द का श्रंृगार देना।
बुद्धि की दाता प्रदाता। भाव का भण्डार देना।
माँ मुझे वरदान देना। बुद्धि देना -ज्ञान देना।।
(2)
हमारी सुनो वन्दना शारदे माँ।
स्वरों की तरणि में हमें तार दे माँ।
बढ़े ही चलें जिन्दगी की डगर में,
स्वरों के नगर में झरें फूल झरझर,
जले ज्ञान ज्योति सदा शारदे माँ।
हमारी.............................
हो सोने की धरती, हो चाँदी सी नदियाँ,
ये झरनों सी छलछल, छलकती हों खुशियाँ,
बहे ज्ञान धारा सदा शारदे माँ।
हमारी सुनो .......................
ये सारी धरा पर दया धर्म ही हो
ये राहें हों सत की और सत्कर्म ही हो,
घृणा पाप सारा मिटा शारदे माँ।
हमारी सुनो ......................
(3)
हे शारदे माँ हे शारदे माँ,
अज्ञानता से हमें तार दे माँ। हे शारदे .......................
तू स्वर की देवी है संगीत तुझसे,
हर शब्द तेरा है, हर गीत तुझसे,
हम हैं अकेले, हम हैं अधूरे,
तेरी शरण हम, हमें तार दे माँ। हे शारदे .......................
ऋषियों ने समझी है, मुनियों ने जानी,
वेदों की भाषा, पुराणों की वाणी,
हम भी तो समझें, हम भी तो जानें,
विद्या का हमको भी वरदान दे माँ। हे शारदे .......................
तू श्वेत वर्णा, कमल पर विराजे,
हाथों में वीणा, मुकुट सर पे साजे,
मन से हटा दे हमारे अँधेरे,
उजालों का हमको भी संसार दे माँ। हे शारदे .......................